अश्विनी नक्षत्र का फल | Ashwini Nakshatra
वैदिक ज्योतिष के अनुसार अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार और लिंग पुरुष है। अश्विनी नक्षत्र आकाश मंडल में सर्वप्रथम नक्षत्र है। यह 3-3 तारों का समूह है, जो आकाश मंडल में जनवरी के प्रारंभ में सूर्यास्त के बाद आकाश में दिखाई देता है।
वैदिक काल में दो अश्विनी कुमार थे, जिनके नाम पर ही इन तारा समूह का नामकरण किया गया है। ‘ अश्विनी ‘ का अर्थ ‘ अश्व जैसा‘ होता है। धरती पर इस तारे का असर पड़ता है। आंवले के वृक्ष को इसका प्रतीक माना जाता है।
भचक्र में शून्य से 13 अंश 20 कला तक का विस्तार अश्विनी नक्षत्र के अधिकार में आता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। इस नक्षत्र को गण्डमूल नक्षत्रों की श्रेणी में रखा गया है। केतु एक रहस्यमयी ग्रह है। नक्षत्र के देव अश्विनी हैं।
अश्विनी नक्षत्र, सूर्य पुत्र अश्विनी कुमार है। कूर्मचक्र के आधार पर अश्विनी नक्षत्र इशान दिशा को सूचित करता है। ईशान कोण से होने वाली घटनाओं या कारणों के लिए किसी भी स्थान में अश्विनी नक्षत्र ग्रहाचार जबाबदार हो सकता है। देश प्रदेश का फलादेश करते समय ईशान कोण के प्रदेशों के बारे में अश्विनी नक्षत्र के द्वारा विचार किया जा सकता है।
अश्विनी नक्षत्र :-
यदि आपका जन्म अश्विनी नक्षत्र में हुआ है तो आपकी राशि मेष व जन्म नक्षत्र स्वामी केतु होगा। राशि स्वामी मंगल व केतु का प्रभाव आपके जीवन पर अधिक दिखाई देगा।
अवकहड़ा चक्र के अनुसार जातक का वर्ण क्षत्रिय, वश्य चतुष्पद, योनि अश्व, महावैर योनि महिष, गण देव तथा नाड़ी आदि हैं। यह सुंदर स्वरूप, स्थूल व मजबूत शरीर। आकर्षक रुपरंग के साथ बड़ी आँखें, चौड़े ललाट वाले होते हैं।
ये लोग धनवान तथा भाग्यवान होते हैं। यह संपूर्ण प्रकार की संपत्तियों को प्राप्त करने वाले, स्त्री और आभूषण तथा पुत्रादि से संतोष प्राप्त करते हैं। शास्त्रों में प्रथम नक्षत्र के रूप में अश्विनी का परिगणन होता है कहते हैं-
‘‘प्रियभूषण: स्वरूप सुभगोदक्षोस्श्विनीषु मतिमांश्च।’’
अर्थात् अश्विनी नक्षत्र में जन्म हो तो मनुष्य श्रृंगार प्रिय, अलंकार प्रेमी, सुन्दर तनु, आकर्षक, आकृति वाला, सब लोगों का प्यारा, कार्य करने में चतुर तथा अत्यंत बुद्धिमान होता है।
‘‘सुरूप: सुभगो दक्ष: स्थूलकायो महाधनी अश्विनीसम्भवो लोके जायते जनवल्लभ:’’
अश्विनी नक्षत्र में उत्पन्न मनुष्य सुन्दर, भाग्यवान्, कार्य में कुशल, स्थूल शरीर, धनवान् और लोकप्रिय होता है।
नारद संहिता के अनुसार-
स्थापनाश्वादियानं च कृषिविद्यादयोश्विभे।
विहित कार्यों को बतलाते हुए ऋृषि कहते हैं कि वस्त्रधारण, उपनयन, क्षौरकर्म, सीमन्त, आभूषण क्रिया, स्थापनादिकर्म, अश्वादि वाहनकर्म, कृषि, विद्या कर्म आदि अश्विनी नक्षत्र में करना शुभद होता है।
यह तो स्पष्ट ही है कि अश्विनी नक्षत्र के स्वामी अश्वनीकुमार हैं नाड़ी- आदि, गण-देवता, राशि स्वामी-मंगल, योनि-अश्व, वश्य-चतुष्पद, वर्ण-क्षत्रिय, राशि-मेष तथा अक्षर हैं चू चे चो ला। इस तरह यह सर्वसुखकारक, तारक नक्षत्र है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार अश्विनी कुमार के पिता सूर्य एवं माता शंग द्वारा दो भाइयों की जोड़ी अश्विनी कुमार को जन्म दिया था।
इस परिकथा के अनुसार अश्विनी कुमार स्वर्ग से तीन पहिये वाले घोड़ों से सुते रथ द्वारा स्वर्गारोहण कर रहे हैं। ऐसा सूचित किया गया है जिसके द्वारा हम इस नक्षत्र में जन्मे जातक बौद्धिक रूप से सुदृढ़, विकासशील निरन्तर प्रगति करने वाले शक्तिशाली एवं भ्रमणशील होने की सम्भावना रहती है।
इस नक्षत्र के जातक मिलिटरी, पुलिस, संरक्षण से सम्बन्धित कार्यभार एवं अन्य व्यवस्थाओं में ज्ञान और बुद्धि के साथ व्यवसायों में विशेष रूचि लेने वाले होते हैं।
अश्विनी नक्षत्र से अश्व द्वारा सवारी, वाहन के रूप में विचार कर सकते है। इस कारण नक्षत्र में वाहन तथा ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय के साथ जोड़ा जाता है।
अश्विनी नक्षत्र के मानव जीवन पर निम्न प्रभाव पड़ते है- तन्दुरूस्त शरीर, लाल आंखे, आगे निकले हुए दांत एवं चेहरे पर किसी भी प्रकार के निशान दिखायी देते हैं।
अश्विनी नक्षत्र के जातक भौतिक सुखों के शौकीन, निर्मय और स्त्रियों में आसक्त होते हैं।
अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक का व्यक्तित्व-
अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग सुंदर मुखाकृति और आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं। यह अधिक ऊर्जावान व सक्रिय होते हैं और आपमें उत्साह भी अधिक होता है।
छोटे-मोटे काम से आप संतुष्ट नहीं रहते। बड़े और महत्वपूर्ण काम करने में ही आपको ज़्यादा आनंद आता है। आप स्वभाव से गुणी, धैर्यवान एवं प्रखर बुद्धि के स्वामी होते हैं।
धन ऐश्वर्य युक्त जीवन में आपको किसी भी प्रकार का अभाव नहीं झेलना पड़ता है। अपने कार्य के प्रति रुझान और लगन के कारण आप कम उम्र में ही सफलता प्राप्त करते हैं एवं आपका यश और कीर्ति समाज में चारों ओर फैलता है।
लेकिन हर काम को तेज़ी-से और कम-से-कम समय में करना आपकी आदत है। आपमें तेज़ी, फुर्ती और सक्रियता साफ़ दिखाई देती है। यदि आपके मन में कोई बात आती है तो आप शीघ्र ही उसे कार्यरूप में बदल डालते हैं।
आप ज़िंदादिल, ख़ुशमिज़ाज व समझदार हैं और किसी भी बात को जल्दी समझकर सही निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता भी आपमें है।
आपका स्वभाव रहस्मयी है इसलिए धर्म, मंत्र शास्त्र और योग में भी आपकी रुचि होगी। आप निडर और साहसी भी हैं परन्तु आपको क्रोध करने से हमेशा बचना चाहिए। क्रोध आने पर आप किसी की भी नहीं सुनते।
आप आत्म नियंत्रण खो बैठते हैं और क्रोध में कई बार अपनी हानि करा बैठते है। लेकिन अपने दुश्मनों को पराजित करना आपको अच्छी तरह आता है और आपको ताक़त या दवाब से वश में नहीं किया जा सकता है।
सिर्फ़ प्यार और स्नेह से ही आपको अपना बनाया जा सकता है। सामने आप बेहद शांत और संयमी दिखाई देंगे तथा अपना निर्णय लेने में कभी भी जल्दबाज़ी नहीं करेंगे। हर पहलू पर विचार करने के बाद ही आप कोई निर्णय करते हैं और एक
बार जो निर्णय कर लेते हैं फिर उससे पीछे नहीं हटते। अपने फ़ैसलों में किसी की बातों से प्रभावित होकर परिवर्तन करना आपकी फ़ितरत नहीं है। अपने हर काम को बख़ूबी अंजाम देना भी आप जानते हैं।
आप यारों के यार यानी श्रेष्ठ मित्र साबित हो सकते हैं और जिन्हें चाहते हैं उनके लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए भी तैयार रहते हैं। अगर आपको कोई पीड़ित दिखाई देता है तो उससे हमदर्दी जताने में भी आप पीछे नहीं रहते।
घोर-से-घोर संकट में भी आप अपार धैर्य रखेंगे और ईश्वर पर भी आपका पूर्ण विश्वास है। परंपराप्रिय होते हुए भी आधुनिकता से आपका कोई बैर नहीं रहता है। इस नक्षत्र साज सज्जा में अधिक विश्वास रखते हैं इसलिए सदा ही आकर्षक , महंगी और आरामदायक वस्तुओं में रूचि रखते है।
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Dr. Arun Bansal
Astrology,Vastu
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Ach. Dr. Kuldeep Kumar
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कार्य-व्यवसाय -
इस नक्षत्र में जन्मे जातक मुख्यत: सभी काम करने में निपुण होते हैं। संगीत व साहित्य प्रेमी हो सकते हैं। छोटे से काम के लिए भी ज्यादा मानसिक परेशानी बनी रह सकती है।
अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति आप निरन्तर प्रयासों द्वारा करके करते हैं। यह अधिकांशत: सरकारी नौकरी में होते हैं अथवा सरकार की ओर से आपको सहायता भी प्राप्त हो सकती है।
अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार हैं इसलिए इस नक्षत्र के जातकों को जडी़-बूटियों, प्राकृतिक चिकित्सा तथा परंपरागत चिकित्सा पद्धति में रुचि होनी स्वभाविक है।
इस नक्षत्र के व्यक्ति यदि अपना व्यवसाय करते हैं तो बड़े लोगों से सम्पर्क बनाना, इनका शौक होता है। यह अपने ग्राहकों में से केवल सभ्य लोगों को ही अधिक पसंद करते हैं।
यह घोड़ों के व्यापारी हो सकते हैं, घोड़ों के प्रशिक्षक हो सकते हैं, घुड़दौड़ कराने वाले व्यक्ति हो सकते हैं, वर्तमान समय में वाहनों से संबंधित कार्य करने वाले व्यक्ति हो सकते हैं, सौंदर्य साधनों का व्यवसाय करते हैं, विज्ञापन जगत से जुड़कर कार्य कर सकते हैं और ये अच्छे चिकित्सक व चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी सफलता पा सकते हैं।
ये सुरक्षा विभाग, पुलिस विभाग, सेना, गुप्तचर विभाग, इंजीनियरिंग, अध्यापन, प्रशिक्षण आदि क्षेत्रों में भी आप हाथ आज़मा सकते है।
साहित्य और संगीत के प्रति भी आपका ख़ासा लगाव होगा और आपकी आय के साधन भी एक से अधिक हो सकते हैं। तीस वर्ष की आयु तक आपको काफ़ी उतार-चढ़ाव देखने पड़ सकते हैं। लेकिन उसके पश्चात् आप अच्छी सफलता पाते हैं।
पारिवारिक जीवन-
अपने परिवार से आप बेहद प्यार करते हैं लेकिन हो सकता है कि पिता की तरफ़ से आपका मन-मुटाव रहे, परन्तु मातृपक्ष के लोग आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहेंगे और परिवार से बाहर के लोगों से भी आपको काफ़ी मदद मिलेगी। आपका वैवाहिक जीवन सुखी दिखता है। पुत्रियों की अपेक्षा पुत्रों की संख्या अधिक हो सकती है।
स्वास्थ्य-
स्वास्थ्य आपका ठीक-ठाक ही रहेगा, लेकिन सिर दर्द, हृदय रोग आदि की शिकायत हो सकती हैं। आपको अच्छे स्वास्थ्य के लिए अश्विनी नक्षत्र की पूजा करनी चाहिए।
इससे आपको स्वास्थ्य लाभ होगा। कई विद्वानों का मत है कि यदि अश्विनी नक्षत्र, जन्म नक्षत्र होकर पीड़ित अवस्था में है तब व्यक्ति को आँवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
अश्विनी नक्षत्र के अवयव घुटना है। वात प्रतिनिधित्व होने के कारण इसका प्रभाव भी शरीर पर पड़ता है।
अश्विनी नक्षत्र वेद मंत्र-
ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वती वीर्य्यम वाचेन्द्रो
बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम:।
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उपाय-
अश्विनी नक्षत्र के जातक के लिए भगवान गणेश की उपासना करना बेहद लाभकारी होता है। इसके साथ ही अश्विनी नक्षत्र की दिशाएं, अश्विनी मास, और अश्विनी नक्षत्र पर चंद्रमा का गोजर समय होने पर कार्य करना मनोकूल फल देने में सहायक होता है।
अन्य तथ्य-
नक्षत्र - अश्विनी
राशि - मेष
वश्य - चतुष्पद
योनी - अश्व
महावैर - महिष
राशि स्वामी - मंगल
गण - देव
नाडी़ - आदि
तत्व - अग्नि
स्वभाव(संज्ञा) - क्षिप्र
नक्षत्र देवता - अश्विनी कुमार
पंचशला वेध - पूर्वा फाल्गुनी