केतु गोचर - 2019

केतु का स्‍वभाव मंगल की तरह ही क्रूर और आक्रामक माना जाता है। शरीर में अग्‍नि तत्‍व केतु ग्रह को ही माना गया है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार केतु में इतनी शक्‍ति है कि ये सामान्‍य व्‍यक्‍ति को भी देव तुल्‍य बना सकता है। इसे अनिश्चितता देने वाला ग्रह भी माना जाता है क्‍योंकि ये हान‍ि और लाभ दोनों देता है। ऐसा कहा जाता है कि कभी-कभी व्‍यक्‍ति को अध्‍यात्‍म के मार्ग पर ले जाने के लिए भी केतु जानबूझकर जीवन में भौतिक अवनति के कारण उत्‍पन्‍न करता है। वृश्चिक और धनु राशि में केतु उच्‍च का माना जाता है और वृषभ एवं मिथुन राशि में केतु को नीच का माना जाता है।

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Dr. Arun Bansal

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TALK TO ASTROLOGER

अगर केतु कुंडली में सहायक ग्रह बनकर कमजोर स्थिति में बैठा है तो जातक को लहसुनिया रत्‍न धारण करने से लाभ होता है। चूंकि केतु स्‍वयं एक छाया ग्रह है इसलिए इसे किसी भी राशि का स्‍वामित्‍व प्राप्‍त नहीं है। केतु की दक्षिण-पश्चिम दिशा होती है और मंगलवार का दिन इस छाया ग्रह को स‍मर्पित होता है। यह पृथ्‍वी तत्‍त का ग्रह है और इसकी दृष्टि अपने भाव से सातवें, पांचवे और नौवे घर पर पड़ती है। केतु की महादशा सात साल तक रहती है। अगर कुंडली में केतु शुभ स्‍थान में बैठा हो तो यह जातक को अध्‍यात्‍म और भौतिक उन्‍नति प्रदान करता है। इसे प्रभाव से जातक मेहनती बनता है और अपने पराक्रम से लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में सफल हो पाता है।

केतु का शुभ प्रभाव गूढ़ रहस्‍यों को जानने की क्षमता देता है। ऐसे व्‍यक्‍ति समाज में उच्‍च पद प्राप्‍त करते हैं और बुद्धिमान होते हैं। कहते हैं कि केतु की कृपा के कारण इन पर काले जादू तक का असर नहीं हो पाता है। वहीं दूसरी ओर अगर केतु अशुभ स्‍थान में बैठा हो तो उसे मन में घबराहट बनी रहती है। उस पर बड़ी आसानी से काले जादू का असर हो जाता है। ऐसे व्यक्ति सुस्‍त और उदास रहते हैं और इन्‍हें समाज में स्‍वीकार नहीं किया जाता है एवं ये बात-बात पर चिढ़ जाते हैं और साधारण फैसले लेने में भी इन्‍हें घबराहट महसूस होती है। इनके पैरों में हमेशा कोई ना कोई बीमारी बनी रहती है। केतु को बली करने के लिए मंगलवार का व्रत रखना चाहिए।

हिंदू ज्‍योतिष में केतु को छाया ग्रह का नाम दिया गया है और इस ग्रह को अचानक लाभ देने वाले के रूप में जाना जाता है। केतु ग्रह जीवन पर बड़े सकारात्‍मक और नकारात्‍मक असर डालता है। ये बुद्धि, ज्ञान, शांति और कल्‍पना का प्रतीक है। अगर केतु शुभ प्रभाव दे तो जातक अत्‍यंत आत्‍मविश्‍वासी होता है। वहीं दूसरी ओर अगर केतु अशुभ स्‍थान में बैठा हो तो इसकी वजह से तनावपूर्ण स्थिति पैदा होती है। केतु का नकारात्‍मक प्रभाव कुष्‍ठ रोग, रिंगवॉर्म जैसी बीमारियां भी दे सकता है। 7 मार्च, 2019 को केतु धनु राशि में रात को 2 बजकर 48 मिनट पर गोचर करेगा और 23 सितंबर, 2020 को सुबह 5 बजकर 28 मिनट पर वृश्चिक राशि में आएगा।

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