पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का फल

नक्षत्र मंडल में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पच्चीसवां स्थान प्राप्त करता है, इस नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति को माना जाता है। आकाश में कुंभ राशि में 20 अंश से मीन राशि में 3 अंश 20 कला तक पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रहता है। यह नक्षत्र दो तारों वाला होता है, और नक्षत्रमण्डल जुड़वां बच्चों की भांति दिखाई पड़ता है। इस कारण इसे यमल सदृश भी कहा जाता है। पूर्वाभाद्रपद को शय्या के आगे वाले दो पायों के समान भी माना जाता है। इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता अज एकपाद है जो शिव का एक रूप अर्थात रूद्र है जो पुराणों में वर्णित एक देवता है और लिंग पुरुष है।

भारतीय खगोल का यह 25 वा ध्रुव संज्ञक नक्षत्र है। इसे पूर्व सुखी पाद या पूर्व पृष्ठाप्रदा भी कहते है। इस नक्षत्र का वर्णन अथर्वेद, तैत्तरीय संहिता, शतपथ ब्राम्हण में मिलता है। पूर्वाभाद्रपद जीवन में आध्यात्मिक अभिलाषा को ऊँचा उठाने वाला और स्वार्थपरता के प्रदेश से निकालने वाला, परिवर्तनकारी नक्षत्र है। यह अशुभ, राजसिक, पुरुष नक्षत्र है। इसकी जाति ब्राह्मण, योनि सिंह, योनि वैर गज, गण मनुष्य, नाड़ी आदि है। यह पश्चिम दिशा का स्वामी है।

व्यक्तित्व -

यदि आपका जन्म शनि की राशि कुम्भ और बृहस्पति के पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में हुआ है तो आप अध्यात्मिक स्वभाव वाले होते हैं परन्तु बंद आँखों से किसी भी बात को मान लेना और उनका अनुसरण करना आपके स्वभाव में नहीं होता है, आप सही और गलत में निर्णय लेने के बाद ही दूसरों का अनुसरण करते हैं। आप प्रायः उदारचित्त, सौम्यप्रकृति, दार्शनिक, सत्यवादी, मित्रों के हितैषी, बुद्धिमान, स्वाभिमानी, दूसरों से काम निकालने में चतुर और ईश्वर भक्त होते हैं। आप शांतिप्रिय व बुद्धिमान व्यक्ति हैं। आपका व्यवहार निष्पक्ष है और आप सादा जीवन जीना पसंद करते हैं। ईश्वर पर आपकी पूर्ण आस्था है और धार्मिक क्षेत्रों में भी आपकी रुचि है। सबकी सहायता के लिए आप सदैव तैयार रहते है क्योंकि आपका दिल साफ़ है। भौतिक सम्पत्ति से अधिक आपके पास यश और सद्भावना की पूंजी है। सत्य का आचरण करना और सच बोलना आपकी ख़ूबी है। आप ईमानदार हैं इसलिए छल-कपट और बेईमानी से दूर रहते हैं। किसी भी स्थिति में आप उम्मीद का दामन नहीं छोड़ते क्योंकि आप आशावादी हैं। दूसरों की सहायता करने हेतु आप सदैव तत्पर रहते हैं क्योंकि आप परोपकारी हैं। जब भी कोई कष्ट में होता है तो उसकी मदद करने से आप पीछे नहीं हटते हैं।

आप दयालु स्वभाव, आकर्षक एवं प्रभावशाली व्यक्तित्त्व, व्यवहार कुशल, मिलनसार एवं महत्वकांक्षी हैं, इसलिए सभी के साथ प्रेम और हृदय से मिलते हैं। मित्रता में आप समझदारी और ईमानदारी का पूरा ख़्याल रखते हैं। आप शुद्ध हृदय के एवं पवित्र आचरण वाले हैं और कभी भी किसी का अहित करने की चेष्टा नहीं करते हैं। आपके व्यक्तित्व की इस विशेषता के कारण ही लोगों का आप पर विश्वास है। शिक्षा एवं बुद्धि की दृष्टि से देखा जाए तो आप काफ़ी बुद्धिमान हैं। आपकी साहित्य में भी रुचि है। साहित्य के अलावा आप विज्ञान, खगोलशास्त्र एवं ज्योतिष में भी पारंगत हो सकते हैं और इन विषयों के विद्वान बन सकते हैं। अपने विचारों को आप निष्पक्ष ढंग से रखते हैं। आप अध्यात्म सहित भिन्न-भिन्न विषयों की अच्छी जानकारी रखते हैं तथा ज्योतिषशास्त्र के भी अच्छे जानकार हैं। आपकी सोच आदर्शवादी है तथा ज्ञान को धन से अधिक महत्व देते हैं।

आपकी शिक्षा एवं बुद्धि श्रेष्ठ होती है। आजीविका की दृष्टि से नौकरी एवं व्यवसाय दोनों ही आपके लिए अनुकूल है। व्यवसाय की अपेक्षा नौकरी करना आपको विशेष रूप से पसंद है और नौकरी में आप उच्च पद पर आसीन होंगे। अगर आप व्यवसाय करते हैं तो पूरी लगन और मेहनत से उसे सींचते हैं। साझेदारी में व्यापार करना आपको अच्छा लगता है। ज़िम्मेदारियों का आपको पूरा एहसास है और अपने कर्तव्य का निर्वाह आप ईमानदारी से करते हैं। नकारात्मक विचारों को आप अपने ऊपर हावी नहीं होने देते तथा आत्मबल एवं साहस से विषम परिस्थिति से बाहर निकल आते हैं। अपना लक्ष्य पाने के लिए आप कभी जल्दबाज़ी नहीं करते हैं और अपने लक्ष्य निर्धारण व कार्य योजना बनाने में आपको कुछ ज़्यादा ही समय लगता है।

व्यवसाय -

यदि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में आपका जन्म हुआ है, तो आप अध्यात्म के कार्यों में अच्छे लाभ पाने वाले होते हैं। गुरु के नक्षत्र में होने से आप  खगोल शास्त्र एवं ज्योतिष में पारंगत होते हैं। बुद्धिमान, धार्मिक कार्यकर्ता व कवि हो सकते हैं। आप शिक्षा अध्यापन का कार्य करके अपनी आजीविका चला सकते हैं। आपकी की रूचि साहित्य में रहती है। साहित्य के अलावा आप विज्ञान के विषयों में भी अच्छा काम कर सकते हैं। आजीविका की दृष्टि से नौकरी एवं व्यवसाय दोनों ही क्षेत्रों में आपको अच्छा लाभ मिल सकता है और दोनों ही आपके लिए अनुकूल होते हैं।  कई बार आप व्यवसाय की अपेक्षा नौकरी करना विशेष रूप से पसंद करते हैं। नौकरी में उच्च पद पर आसीन होते हैं। अगर व्यवसाय करे तो मेहनत से उसे आगे बढाता है, साझेदारी में व्यापार करना अच्छा लगता है। अपने कर्तव्य का निर्वाह ईमानदारी से करते हैं।

आर्थिक और सामाजिक रूप से आप स्वतंत्र जीवन जीने में सक्षम हैं। 24 वर्ष से लेकर 33 वर्ष तक आपके जीवन में विशेष विशिष्ट उन्नति का समय रहेगा। आप शल्य चिकित्सक, रोमांच कथा लेखक, पुरोहित, ज्योतिषी, योग शिक्षक, मनोविश्लेषक, फिजिशियन, राजनेता, हथियारों के निर्माण से जुड़े कार्य, सैनिक, इन्कॉउंटर स्पेशलिस्ट, वैल्डिंग, लोहार या सुनार से जुड़े कार्य, औषधि निर्माण से जुड़े कार्य आदि करके सफल जीवन जी सकते हैं।

पारिवारिक जीवन -

आपका अपनी माता से प्रेम और स्नेह अच्छा होता है। लेकिन यह स्थिति अधिक समय के लिए नहीं होती आपको किसी न किसी कारण  माता से दूर रहना पड़ता है। आपको अपने पिता से विशेष सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। पिता का समाज में बेहतर स्थान होता है। पर कुछ मामलों में आपके पिता के साथ वाद विवाद भी रह सकता है। मगर आपका वैवाहिक जीवन सुखी बीतेगा। पत्नी समझदार व कर्तव्यपरायण होगी। बच्चों से भी आपको पूर्ण सुख प्राप्त होगा।

स्वास्थ्य -

यह नक्षत्र मण्डल में पच्चीसवाँ नक्षत्र है और बृहस्पति इसका स्वामी है। विद्वानों अनुसार इसे शरीर का बायां अंग माना जाता है। आंतें, पेट, जंघा, टांग का बायीं ओर वाला भाग इस नक्षत्र का अंग माना जाता है। इस नक्षत्र के पहले, दूसरे व तीसरे चरण में टखने आते हैं। चतुर्थ चरण में पंजे व पांव की अंगुलियाँ आती हैं। जब भी यह नक्षत्र पीड़ित होगा तब इन अंगों से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इस नक्षत्र को वायु प्रधान माना जाता है अत: इसे वात पीड़ा देने वाला भी माना जाता है।

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र वैदिक मंत्र-

ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा

    ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु।

ॐ अजैकपदे नम:।

उपाय -

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की आराधना करना शुभफलदायक होता है।

भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए। 

सोमवार का व्रत एवं जाप इत्यादि करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है। 

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में चंद्रमा का गोचर होने पर भगवान शिव का भजन कीर्तन, नाम स्मरण करने से कार्यों में सफलता एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

इस नक्षत्र के जातक को काले रंगों का परहेज करना चाहिए और हल्के रंग के वस्त्र, आसमानी और नीले रंग के वस्त्र धारण करने से शुभता प्राप्त होती है।

अन्य तथ्य -

  • नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद
  • राशि - कुम्भ-3, मीन-1
  • वश्य - नर-3, जल-1
  • योनी - सिंह
  • महावैर - गज
  • राशि स्वामी - शनि-3, गुरु-1
  • गण - मनुष्य
  • नाडी़ - आदि
  • तत्व - वायु-3, जल-1
  • स्वभाव(संज्ञा) - उग्र
  • नक्षत्र देवता - रुद्र
  • पंचशला वेध – चित्रा

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