राहू गोचर - 2019

वैदिक ज्‍योतिष में राहू को छाया ग्रह की उपाधि दी गई है। समुद्र मंथन की कथा से ही दो छाया ग्रहों राहू और केतु की उत्‍पत्ति का रहस्‍य जुड़ा हुआ है। देवताओं और दैत्‍यों के बीच युद्ध चल रहा था। इसमें यह तय किया गया कि दोनो पक्षों की शक्‍ति को बढ़ाने हेतु समुद्र मंथन किया जाए। समुद्र के मंथन में से कई चमत्‍कारी चीजें निकलीं जिनमें से एक अमृत भी था। इस अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों में फिर से युद्ध छिड़ गया है। अगर राक्षसों को अमृत मिल जाता तो वो पूरी सृष्टि का संहार कर देते। इसलिए भगवान विष्‍णु ने एक सुंदर अप्‍सरा मोहिनी का अवतार लिया। उसके सौंदर्य से सभी मोहित हो गए। मोहिनी ने पहले देवताओं को अमृत देना शुरु किया। उस समय स्‍वरभानु नामक राक्षस चुपके से देवताओं के बीच आकर बैठ गए और अमृत चख लिया। जब भगवान विष्‍णु को इस बात का ज्ञान हुआ तो उन्‍होंने अपने सुदर्शन चक्र से स्‍वरभानु का सिर और धड़ अलग कर दिया। चूंकि स्‍वरभानु ने अमृत चखा था इसलिए उसकी मृत्‍यु नहीं हुई और उसका सिर राहू और धड़ केतु के नाम से जाना गया।

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Dr. Arun Bansal

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TALK TO ASTROLOGER

कुंडली में राहू की महादशा 18 साल की होती है। ज्‍योतिष के अनुसार राहू केवल सिर वाला भाग है। राहू गुप्‍त, गूढ़, रहस्‍यमयी और भेष बदलने में माहिर है। जो कुछ भी छिपा रहता है वो सब कुछ राहू के अधीन आता है। अगर राहू की दशा और अंर्तदशा चल रही हो तो इसके कारण जातक की मति भ्रष्‍ट हो जाती है। राहू का स्‍वभाव गूढ़ है इसलिए ये छाया ग्रह समस्‍याएं भी गूढ ही देता है। जातक का मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहता है और वो खुद को ही बर्बाद कर लेता है। राहू कई बीमारियां भी देता है। जब पीडित व्‍यक्‍ति अपनी बीमारी की चिकित्‍सा के लिए डॉक्‍टर के पास जाता है तो डॉक्‍टर तक को उसकी बीमारी समझ नहीं आ पाती है। इसके प्रभाव में आने वाले मरीज जांच में बिलकुल दुरुस्‍त पाए जाते हैं। राहू की अंर्तदशा के दौरान आखिरी छह साल सबसे मुश्किल होते हैं। राहू का दोष व्‍यक्‍ति की नींदे तक उड़ा देता है। सोने के बावजूद भी वह आसपास के वातावरण के प्रति सजग रहता है। रात को देर से सोता है और सुबह उठने पर भी सिर भारी रहता है। राहू की शांति के लिए कोई एकल ठोस उपाय नहीं होता है। राहू जो भी परिणाम देता है वो अचानक से देता है। ये ग्रह आपको पल में अर्श से फर्श पर तो पल में फर्श से अर्श पर लेकर जा सकता है।

अगर कुंडली में राहू पंचम, सप्‍तम, अष्‍टम और द्वादश भाव में बैठा हो या किसी पाप ग्रह के साथ विराजमान हो या गोचर में किसी शत्रु राशि में विचरण कर रहा हो तो न जातकों के दुखों का कभी अंत नहीं होता है। राहू के नीच का या अस्‍त होने पर व्‍यक्‍ति आत्‍महत्‍या तक का कदम उठा सकता है। कहा जाता है कि जिस व्‍यक्‍ति पर राहू की बुरी नज़र पड़ जाए वो अपने हाथों से ही खुद को बर्बाद कर लेता है। राहू इंसान की मति भ्रष्‍ट कर देता है और ऐसे में व्‍यक्‍ति को समझ ही नहीं रहती कि वो खुद को ही बर्बाद कर रहा है।

वैदिक ज्‍योतिष में राहू को छाया ग्रह की उपाधि दी गई है। कुंडली में अगर राहू सही स्‍थान पर बैठा हो तो ये जातक को सम्‍मान और राजीनीति में सफलता प्रदान करता है। वहीं दूसरी ओर अगर जन्‍मकुंडली में राहू का नीच स्‍थान में या कमजोर हो तो उसके कारण सेहत को नुकसान एवं बीमारियां आदि पैदा होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इसकी वजह से दुर्घटना और कार्यों में रुकावटें आने का खतरा बना रहा है। इसके अलावा राहू मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान और झूठ बोलने का कारक है। राहू 7 मार्च, 2018 को मिथुन राशि में प्रात: 2 बजकर 48 मिनट पर प्रवेश करेगा और 23 सितंबर, 2020 को प्रात: 5 बजकर 28 मिनट पर वृषभ राशि में गोचर करेगा। ज्‍योतिष की दृष्टि से राहू गोचर 2019 अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण समय है। तो चलिए जानते हैं राहू गोचर का 12 राशियों पर क्‍या प्रभाव पड़ रहा है।

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